हे गुरुओं के गुरु, विप्र शिरोमणि परशुराम!
अपनी अमरता तुम्हें दिखाना होगा।
धर्म की रक्षा के ख़ातिर अब,
तुम्हें पुनः परशु उठाना होगा।
सत्य तड़प रहा कलयुग में,
शिक्षा की बोली लगती है,
जाति-धर्म और ऊँच-नीच से,
मानव की नस्लें बँटती है,
आरक्षण नामक काँटों से,
तलवार की नोख भी यहाँ कटती है।
हे महागुरु! है विष्णु अवतार!
तुम्हें पुनः रण में आना होगा।
21 बार क्षत्रियों की भाँति,
तुम्हें अधर्मियों का शीष उड़ाना होगा।
तुम भीष्म गुरु तुम द्रोण गुरु,
तुमने राधे पुत्र को शिक्षा दी,
सर्वश्रेष्ठ का गुरुर तोड़ने,
तुमने कर्ण को दीक्षा दी।
है महागुरु! है दानवीर गुरु!
तुम्हें ऊनी अमरता दिखाना होगा,
धर्म की रक्षा के ख़ातिर अब,
तुम्हें पुनः परशु उठाना होगा।
'कृष्णा'