गुरुवार, 22 अप्रैल 2021

पृथ्वी दिवस

पाला जिसने बड़े इत्मिनान से,
खोद कर उसे ही हम विज्ञान हो गए।

विकास-विकास करते-करते,
न जाने हम कब शैतान हो गए।

आज ज़िन्दगी उम्मीदों की रेत सी,
फिसलकर विज्ञान श्मशान हो गए।
'कृष्णा'

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