खून के धब्बे हैं शामिल इनमें।
आओ चलो बग़ावत करें।
खुल कर ये एलान होना चाहिए-
जहाँ रात न होती हो,
आशिक़ों के लिए,
वो जहान होना चाहिए।
सफ़र के रास्ते जितने कठिन होंगे, मंज़िल उतनी शानदार होगी। हाँ! रुकना मत, चलते रहो, चलते रहो मुसलसल। Twitter @kkpbanaras
ये दिसंबर तो अब तलक रुका है तुमने ही साथ छोड़ दिया! शायद प्रेम का ताल सूख गया होगा पर वक़्त से पहले कैसे? हो सकता है अश्रुओं के ताल मौसमी रिवा...
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