मंगलवार, 22 दिसंबर 2020

प्यार

जो ख़ुद अधूरा होकर जीवन को पूरा करता है, वही है प्यार। वैसे प्यार के बारे में कई सारे मतों को सुना है। कुछ का मानना है कि प्यार एक ही बार होता है तो कुछ का मानना है कि प्यार दोबारा भी हो सकता है। बड़े असमंजस के बाद मैंने फ़ैसला किया अपने अतीत के पन्नों को पलटने का। मुझे ज्ञात हुआ कि प्यार तो आदि से शुरू होकर अनन्त तक चलने वाली अर्थात सर्वत्र विराजमान रहने वाली काया है,जिसे चाह कर भी हटाया नहीं जा सकता और न ही बनाया जा सकता। वो विज्ञान में कहते हैं न कि " energy can't be created nor be destroyed." ठीक उसी तरह है प्यार। मैं किसी मत का कटाक्ष नहीं करता और न ही मेरी हैसियत है उतनी, लेकिन अपने अनुभव को साझा करते हुए मैं बस यही कहना चाहता हूँ कि जिस केंद्र बिन्दु से हमें आत्म संतुष्टि और आत्म प्रेम की भावना मिलती है वहीं प्यार है। प्यार एक बार नहीं हज़ार नहीं लाख नहीं वरन अनन्त तक होते रहने वाली दशा है। अब देख लो आजकल मोबाइल नामक यंत्र से मन को बहुत संतुष्टि मिलती है। क्या अपने मोबाइल को दूसरों के पास देखना चाहते हो? कितनी हिफाज़त करते हो न! शायद ख़ुद से भी अधिक। इसीलिए मुझे यह कहने में थोड़ी-सी भी झिझक न हुई और मैंने अपने मन की बात उढेल दी। ख़ैर मुझे भी बहुत प्यार है अपने परिवार से, अपने मोबाइल से, अपने दद्दा से; (जो कि मुझसे 2 साल पहले मिले थे लेकिन सम्बन्ध ऐसा मानो सदियों से नाता हो हमारा), अपने आप से और हाँ तुमसे। बेपनाह मोहब्बत है, मैं कभी-कभी सोचता हूँ कि तुम, तुम और तुम न होते तो मेरा क्या होता? इस जहान में मैं कभी आत्म संतुष्टि न पाता। ख़ैरियत है कि तुम,तुम और तुम मेरे जीवन में हो प्यार बनकर। बहुत प्यार करता है तुमसे तुम्हारा कृष्णा। सिर्फ और सिर्फ तुम्हारा कृष्णा।

#KkpBanaRas 

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