गुरुवार, 29 अप्रैल 2021

लोकतन्त्र महान है।

भर गई श्मशान है, तड़प रहा इन्सान है।
लोकतंत्र महान है, लोकतंत्र महान है।

गँगा पुत्र बनकर आया, शासन में अपने हमें रुलाया।
विजय के लहर में, मौत का कहर बरसाया।
चुनाव हुए, भीड़ हटी, सम्मुख उनके मौत महज़ गिनती समान है।
भईया लोकतंत्र महान है, लोकतंत्र महान है।

सत्य, धर्म, सबों पर अनदेखी वार है,
ग़रीब सड़कों पर मेरे, शासन पर विजय सवार है।
समय बदलेगा, आवाज़े गूँजेंगी,
पास हमारे भी दो कान हैं।
लोकतंत्र महान है, लोकतंत्र महान है।

ढोंग रचाकर तिलक लगाया,
अक्षयवट रातों-रात गिराया।
समय आएगा, पास हमारे भी एक जुबान है।
लोकतंत्र महान है, लोकतंत्र महान है।
'कृष्णा'

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