सोमवार, 16 नवंबर 2020

छठ महापर्व

हम ज़िन्दगी के किरायेदार हैं और फिलहाल बनारस ही ओढ़ना-बिछौना है हमारा। इसी ज़िन्दगी को बड़े ही आकांक्षाओं के साथ 10/10 के कमरे में घर्षित कर रहै हैं। ज़रूरी भी है क्योंकि कहते हैं कुछ पाने के लिए कुछ तो खोना पडबे करता है। अब देख ही लीजिए आदमी अपना जन्मदिन भूल सकता है लेकिन 2020 जीते जी तो नहिए भूल पाएगा। ई जो साल चल रहा है ई होली के रंग से लेकर दशहरा और दीवाली के रंग तो फीका कर ही गया। सारे तीज-त्योहार घर-परिवार से 400 किलोमीटर दूर सिमट गया। लेकिन अब कैसे रहा जा सकता है, मन को कैसे मनाया जा सकता है? ई बार कोई बहाना से खुद को फुसला नहीं पाएँगे। बात ई है न कि अब जो आ रहा है ऊ केवल पर्व और परम्परा नहीं हमारा इमोशन है। आप समझ गए होंगे कि हम छठ की बात कर रहे हैं। बड़ी मशक्कत से हम घर पहुँच ही गए हैं, बात ई है न कि ई जो छठ महापर्व है न ई हमलोग को वर्षों से घर-परिवार और साक्षात दृश्य देव एवं प्रकृति से जोड़े हुए रखता है। अब जो घर पहुँच ही गए हैं तब शान्ति प्रेम और सम्पूर्ण रूप से स्वच्छता के प्रतीक रूपी इस महापर्व में ही होली, दशहरा और दीवाली के रंग को ज़रूर मन में भर लेंगे और प्रेम और सौहार्द से सबको रंगीन कर देंगे। मन को इतना हरा-भरा कर देंगे कि उसका सारा कसर पूरा हो जाए, आखिर साल भर फुसलाये रखे थे उसको। एगो बात बताना भूल गए थे कि अब जोर-शोर से छठ की तैयारी शुरू हो चुकी है। भईया तनिको आराम नहीं मिलता है ई पर्व में लेकिन ऊर्जा भी भरपूर मिलता है इसमें। अब आप ही देख लीजिए कि दादी 3 दिन निर्जला व्रत रखती है फिर भी दिन भर लगले रहती है। कहते हैं न समस्त ऊर्जा के देव स्वयं भगवान भाष्कर ही तो हैं। आपसे आग्रह है कि खुद को भी सुरक्षित रखें और अपने अनमोल चहेता जन को भी सुरक्षित रखें।

#kkpbanaras

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