काश हमारी फीलिंग्स के कोई स्टेटस बना पाता!
ख़ैर हमको पता है कि तुमसे, तुमसे और तुमसे भी ये न पाएगा।
हमारे ज़हरीले शब्द जीवन रूपी वृक्ष को झुलसाने के परिणाम निकले द्रव ही तो है।
हमने तो कइयों को लिखा है, हमें लिखने वाला कलम बनते-बनते रह गया।
न ही हमें आवश्यकता है किसी के शब्दों की और उसके शब्दों में सिमट जाने की।
#KkpBanaRas
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें