मंगलवार, 22 जून 2021

विशालकाय जंगल

वो विशालकाय जंगल जो जल कर ख़ाक हुई,
ऊँचे मीनार बने वहाँ, हरे वृक्षों की राख हुई।

हुए दफ़्न जो उस भयावह आग में,
सुकूँ से हम भी कहाँ रह पाएँगे।
देंगे बददुआएँ नस्लें उनकी,
चौखट हमारी भी सूनी रह जाएगी।

वो न प्रेत हैं न भूत हैं
आँख के अंधे हम हैं,
वो तो प्रकृति के दूत हैं।

जो कल मारा गया हाथ हमारे,
कल पिंजडे में हम उसे ही पालेंगे।
2 गज का चिड़ियाघर होगा,
हर जगह उनके आज़ादी पर ताले होंगे।

सोमवार, 21 जून 2021

Music Day

संसार की सारी ध्वनियाँ जब ख़ामोश हो जाती है और ख़ामोशियाँ भी जब घुटने टेकने लगती है,
तब झनक उठती है संगीत
आत्मा को पुनर्जीवित करने
एक सुरंग से निकलकर।
धकेल देती है हमें उस मौन से कोषों दूर जो निगल ही चुका था लगभग हमें।
कहते हैं 
When Word fails Music Speaks.
Happy World Music Day.

डिअर दिसंबर

ये दिसंबर तो अब तलक रुका है तुमने ही साथ छोड़ दिया! शायद प्रेम का ताल सूख गया होगा पर वक़्त से पहले कैसे? हो सकता है अश्रुओं के ताल मौसमी रिवा...