बुधवार, 24 मार्च 2021

अधूरा चाँद

जैसे आधा चाँद दिखता है न वैसा ही हूँ मैं, जो बस दिखने में आधा है लेकिन है तो पूरा ही।
बहुत ख़ुश हूँ कि कोई है मेरा, मुझे सिर्फ मुझे समझने वाला।
ये भरम टूट जाना ही इस चाँद को कभी पूरा होकर ठहरने नहीं देता।
सामने ये जो निगाहें झुकी पड़ी हैं
इस चाँद ने थे इनके कभी सदके उतारे।

तेरा हाथ कल तक मेरे हाथ में था,
दिल तेरा धड़कता है अभी दिल में हमारे।

शामों को अब न निकलना घरों से,
दीदार-ए-हुश्न न हो जाए तुम्हारा।
कहीं अब मुलाक़ात हो जाए हमसे,
चुराकर नज़र को मुक़र जाना हमसे।
#kkpbanaras

गुरुवार, 11 मार्च 2021

महाशिवरात्रि

इस धरा में सब गोल है, गोल होना शून्य को भी इंगित करती है। पूरे विश्व के नाथ स्वयं शून्य के स्वामी हैं और हम अपने आप को उसी शून्य से दूर रखने की कोशिश में आदरणीय समझते हैं।
दरअसल शून्य की ओर जाना ही चरम आनन्द का मार्ग है। शिव हम में समाएँ और हम भी शून्य हो जाएँ। महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ।
#kkpbanaras, kkpbanaras

गुरुवार, 4 मार्च 2021

परोसना आसान नहीं होता।

परोसना आसान नहीं होता, फिर चाहे भोजन हो या भाव। उसे तैयार करना होता है कुछ इस तरीके से कि उपभोग करने वाला संतुष्ट हो जाए।
मेरे दो दशकों के अनुभव कहते हैं कि हम चाहे जैसे भी हों, जिस भी हाल में हों, हमें एक वैयक्तिक कलाकार बनाना होता है खुद को सामने वाले कि ख़ुशी के लिए।
गुलाब की ढकार निकालनी पड़ती है , धतूरे को निगल कर।
यह धतूरा कुछ पल के लिए हमारे अपनों को संतुष्ट तो कर देता है परन्तु यही एक कारण बनता है ख़ुद को बर्बाद करने का।
बस यही एक स्थिति का रूप ले लेती है कि हम रिश्तों से दूर होने लगते हैं या कहलो हर शख्स पर विश्वास खोने लगते हैं। बस ख़ुद के मुरीद ही बनने पर मजबूर हो जाते हैं। यही स्थिति एक सीधे और सुलझे धागे में गाँठ जड़ने लगती है, जो विकराल रूप लेकर पूर्व सिंचित प्रेम और भाव के धागे को तोड़ देती है।
#KKPBANARAS

डिअर दिसंबर

ये दिसंबर तो अब तलक रुका है तुमने ही साथ छोड़ दिया! शायद प्रेम का ताल सूख गया होगा पर वक़्त से पहले कैसे? हो सकता है अश्रुओं के ताल मौसमी रिवा...